इस बार दो बरनी भरकर बनाऊंगा
एक में प्रेम कविताएँ भरूँगा
और दुसरे में जीवन की अन्य तमाम कविताएँ
जिन कवियों ने प्रेम के अलावा
कभी कुछ और नहीं चखा
उन्हें दूसरी बरनी से ख़ूब अचार खिलाऊंगा
ताकि वे जान सकें
कि कविताओं कि दुनिया बहुत बड़ी है
और वह कई रंगों में ढली है
जो मुझसे पूछते हैं
बेस्वाद क्या है?
उन्हें, एक एक कलि प्रेम कविता खिलाऊंगा
अब कविता की बात
तो वह एक कैनवास है
जो तरह तरह से
कई रंगों में - कई ढंगों में
रंगा जाता है
तो कवियों से अनुरोध है
जब भी नए सीजन का अचार डालें
थोड़ा ही सही
वेरायटी में बना लें
धन्यवाद
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