Monday 7 August 2023

उलझन

इधर उधर की इतनी बातें?
मैंने ये कब सोचा था !
सोचा था एक प्यार का नग़मा
जब भी मैंने सोचा था ।







बराबर

होना, ना होना

एक बराबर

ना होना अच्छा ।


दिल ने बोए जितने क़िस्से


हर क़िस्से के हिस्से में

इक बात


एक बात बराबर ।

प्रेयसी

( पूजा के नाम )



आँखें गड़ाये तन पे तुम्हारे

तुमको लगता है

मैं तिल गिनता हूँ?


तिल गिनती हैं मेरी आँखें


मैं, मन से तुम्हारे 

दिल गिनता हूँ ।


रिश्ता

कौन बताए ग्यारह क़िस्से
किसके हिस्से?
मेरे हिस्से का एक क़िस्सा था 
सबने गिने अठारह क़िस्से






मैंने एक एक क़िस्से का
कितना सारा सूत चुकाया
मूल चुकाया, भूल चुकाया
बोलो अब 







बनेंगे बाक़ी जो इन क़िस्सो से
उन बेचारे क़िस्सों का क्या होगा?
अब तुम जब भी बुनना
सोच के अपने क़िस्से बुनना ।