Sunday 12 July 2020

एहतियात

असमय

वो भी आना, न था
बुलाना था
बुलाना, न था | लगाना था

कितना कुछ था गले लगाने को
कितना कुछ था झूल जाने को

कि पूछ लो हाल उसका

एक दूसरे का हाल पूछना ही
इस समय में,
हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है !

आलम

मेरे पड़ोस में,

सबको मतलब है मेरी बदसुलूकी से
मेरा चक्कर
मेरी बेगारी
मेरे बबंडर फ़ैल जाते हैं आंधी से तेज़,

कभी नहीं फैलती भूख की खबर

किसी का भूख से मर जाना
हमारे पड़ोस में,

इस समय की सबसे बड़ी त्रासदी है !

Monday 6 July 2020

हिसाब – किताब


प्रेम से पहले
जानता था गुणा – गणित

अब ये आलम है
कुछ याद नहीं

भविष्य से मेरी
गणितीय पहचान बस इतनी है
कि
हममें से, किसी एक का हारना ही
एक दूसरे को
हार जाना है

Thursday 2 July 2020

हैरत

कहा नहीं गया था जब
जानते थे दोनों सब
सबकुछ अच्छा अच्छा लगता था

डर  था
कहने से सोचा ख़त्म हो जाएगा

एक दिन हौसला आया
ख़त्म हुआ सब, कहने के बाद