बेबुनियाद अभ्यास के ठीक बाद आपको आभास होता है 'प्रेम में प्रयास' और 'प्रेम' असल में दो अलग बातें हैं जब कोई मिले और उसके साथ चलने का अहसास हो तो मान लेना साथ तुम्हें धोखा दे रहा है आसमान को कभी आभास नहीं हो सकता कोई उसे छू लेना चाहता है चाँद को खुद उसके किस्से कहाँ पता होंगे? हमने गलत तवज्ज़ो देना सीखा है अपनी चाह को मैं उड़ने की कल्पना करता हूँ 'लेकिन उड़ने की कल्पना उड़ान नहीं हो सकती' सबसे सहज होगी मुलाक़ात यक़ीनन सब बदल जायेगा |
न चाहें, दिल पे कुछ बातें लगती हैं अतीत की यादें महबूबा की बाहें लगती हैं ख़्वाब बिछे थे बिस्तर पर रातें सपने ले आईं किस्सा है उस रात का ये मयखाने में जो रात बिताई जब कदम बढ़ाए मैंने, क्यों उसने पीछे चाल चली? और भला क्या होती बात मुझको उसकी बात खली खलल किस्म कोई भी हो बीच प्यार के पड़ती है ग़र वो तेरी, मेरी है कहाँ कभी फिर भरती है तिलिस्म अतीत का दिन एक खाक हो जायेगा कोई रास्ता नहीं आता दिल तक, ग़र रूठ जाएगा |
एक जो हर मदहोश को मिल जाता है एक के अनगिनत किस्से मन जाने करामाती पल और कुछ मयखाने याद रहे बस दो अफ़साने आये झरोखा, दर-बदर मुँह की खाए क्यों आवारा बादल दिल लगाए? तितली के पीछे मैढ़- मड़ैया रोंदे थे बेपरवाह गुस्ताखी कर दिन बीते थे उत्तर देना कहाँ विरासत में हिस्से आया भूल से मैंने वो किस्सा दोहराया बीते पल रेंगता एक सवाल आया क्यों की गुस्ताख़ी, क्यों दिल लगाया?
प्रेमिका को जब भी स्पर्श करो टूटे कांच की तरह पकड़ना थोड़ी ग़लती और हाथ कट जायेगा साँसों की अदला बदली से जीते हैं जहाँ भी मिले हैं, समुद्र और धरती होंठों से मिले हैं धरती को रही होगी प्रतिबिंब से नफ़रत समुद्र आसमान की समर्पित प्रेमिका है शरीर कभी नहीं मानता बुरा प्रेम में सारी चोटें दिल पे लगती हैं