एक जो हर मदहोश को मिल जाता है
एक के अनगिनत किस्से मन जाने
करामाती पल और कुछ मयखाने
याद रहे बस दो अफ़साने
आये झरोखा, दर-बदर मुँह की खाए
क्यों आवारा बादल दिल लगाए?
तितली के पीछे मैढ़- मड़ैया रोंदे थे
बेपरवाह गुस्ताखी कर दिन बीते थे
उत्तर देना कहाँ विरासत में हिस्से आया
भूल से मैंने वो किस्सा दोहराया
बीते पल रेंगता एक सवाल आया
क्यों की गुस्ताख़ी, क्यों दिल लगाया?
एक के अनगिनत किस्से मन जाने
करामाती पल और कुछ मयखाने
याद रहे बस दो अफ़साने
आये झरोखा, दर-बदर मुँह की खाए
क्यों आवारा बादल दिल लगाए?
तितली के पीछे मैढ़- मड़ैया रोंदे थे
बेपरवाह गुस्ताखी कर दिन बीते थे
उत्तर देना कहाँ विरासत में हिस्से आया
भूल से मैंने वो किस्सा दोहराया
बीते पल रेंगता एक सवाल आया
क्यों की गुस्ताख़ी, क्यों दिल लगाया?
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