Saturday 18 April 2020

सवाल

एक जो हर मदहोश को मिल जाता है 
एक के अनगिनत किस्से मन जाने 
करामाती पल और कुछ मयखाने 
याद रहे बस दो अफ़साने 

आये झरोखा, दर-बदर मुँह की खाए 
क्यों आवारा बादल दिल लगाए?

तितली के पीछे मैढ़- मड़ैया रोंदे थे 
बेपरवाह गुस्ताखी कर दिन बीते थे 
उत्तर देना कहाँ विरासत में हिस्से आया 
भूल से मैंने वो किस्सा दोहराया 

बीते पल रेंगता एक सवाल आया 
क्यों की गुस्ताख़ी, क्यों दिल लगाया?

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