चेहरे पे झुर्री रास नहीं
जाए जवानी फिर बात नहीं
जाए जवानी फिर बात नहीं
सोचता हूँ कितना कुछ करना है
और वक़्त से पहले मरना है
कितना कम समय बचा है
कितनी मोहब्बत करना है |
कान का परिचय, आँख की बात
बातें... बहकी बातें
वह बहकी बातें
जो भी तुमने कही थीं बातें
मैं तुमको अपनी बात बताऊँ?
पागल करती चाह की फांस
देना मुझको
सीरत की फितरत, आँख का आंसू
क्या कुव्वत इनमे?
ये साले जिस्मानी हिस्से
मैं तुमको अपनी बात बताऊँ?
दिल के बदले में दिल लूँगा
और कोई हिसाब नहीं |