Sunday 19 April 2020

मोड़

बेबुनियाद अभ्यास के ठीक बाद 
आपको आभास होता है 
'प्रेम में प्रयास' और 'प्रेम' असल में दो अलग बातें हैं 
जब कोई मिले और उसके साथ चलने का अहसास हो 
तो मान लेना साथ तुम्हें धोखा दे रहा है 

आसमान को कभी आभास नहीं हो सकता
कोई उसे छू लेना चाहता है 
चाँद को खुद उसके किस्से कहाँ पता होंगे?
हमने गलत तवज्ज़ो देना सीखा है अपनी चाह को 

मैं उड़ने की कल्पना करता हूँ 
'लेकिन उड़ने की कल्पना उड़ान नहीं हो सकती'

सबसे सहज होगी मुलाक़ात 
यक़ीनन सब बदल जायेगा | 

No comments:

Post a Comment