Monday 5 February 2018

सच

अचानक से मेरा मन हो उठा
की ज़ोर ज़ोर से रो लूं
अब लोग मुझसे
मेरे हिस्से का एकांत छीन रहे हैं

फिर लगा, जोर से चीखूं और घोषणा कर दूं
“दुनिया का कोई भी व्यक्ति
मेरे सन्दर्भ में कुछ भी सोचने के लिए आज़ाद है
मुझे फ़र्क नहीं पड़ता

मुझे फ़र्क नहीं पड़ता की मुर्दों में गिना जाऊं
या इंसान ही न कहलाऊं

अब मैं छलावों के पार की दुनिया में रहता हूँ
तुझमे नहीं रहता
मौन में रहता हूँ

जिंदगी अब मुझसे आज़ाद है
मैं आसमान में रहता हूँ |

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