Monday 5 February 2018

हम दीवाने

हम दीवाने हम दीवाने कहाँ हमारी हस्ती है
हम मतवाले हम मतवाले
कहाँ हमारी बस्ती है

संग हवा के आए हम
धूल उड़ाते जहाँ चले
सुखी पट्टी के संग हम, नाचते गाते जहाँ चले

पंख पासरे उड़े हैं अंबर, शाख़ पात से जहाँ चले
बनकर बब्बर शेर दहाड़े
जंगल जंगल जहाँ चले

गम का मंज़र न देखा
ख़ुशी ख़ुशी हम जहाँ चले
आवारा हैं आवारों की, बस्ती में मस्ती छोड़ चले |

No comments:

Post a Comment