हम दीवाने हम दीवाने कहाँ हमारी हस्ती है
हम मतवाले हम मतवाले
कहाँ हमारी बस्ती है
संग हवा के आए हम
धूल उड़ाते जहाँ चले
सुखी पट्टी के संग हम, नाचते गाते जहाँ चले
पंख पासरे उड़े हैं अंबर, शाख़ पात से जहाँ चले
बनकर बब्बर शेर दहाड़े
जंगल जंगल जहाँ चले
गम का मंज़र न देखा
ख़ुशी ख़ुशी हम जहाँ चले
आवारा हैं आवारों की, बस्ती में मस्ती छोड़ चले |
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