Monday 5 February 2018

बंजारे का बसेरा

मैं शहर में
जब भी किसी गली या मकान के
सामने से गुज़रता हूँ
हर दरवाज़ा बंद पाता हूँ
तब मैं एक सपना बुनता हूँ
कि शहर में अपना एक घर बनाऊंगा
और उसके दरवाज़े
हमेशा खुले रखूंगा

ताकि घर के हिस्से की हवा
घर के हिस्से की धूप
और घर के हिस्से का शोर घर जा सके
गली में खेलते बच्चों की आवाज़
घर आ सके

घर के हिस्से का अकेलापन
बाहर जा सके
और मिल सके नए लोगों से

मैं घर के दरवाज़े खुले रखूंगा
ताकि जब थक जाए बंजारा
तो घर आ सके |

No comments:

Post a Comment