मिलो मुझे
बरसात यह कहकर चली गई
बौछार ने कुछ कुछ
खिड़की से झाँका
और भिगोकर चली गई
अपने ह्रदय में लिए उसे
मैं बचता रहा
वह बूंदे, राह दिखाकर चली गईं
चल पड़ा मैं राही
वह हमराही
प्रेम दिखाकर चली गई
गरज गरज और बरस बरस अब बादल
सात समुन्दर पार चला
लहरों से जा टकराया
और
लहरों के ही साथ चला |
No comments:
Post a Comment