Monday 5 February 2018

बात बराबर

एक दिन मेरी जिंदगी और मैं
खेल खेलने लग गए

उसने मेरा इंतज़ार मुझसे छीना
फिर लौटा दिया
कहने लगी- मज़ाक कर रही हूँ

एक दिन मेरे अकेलेपन को ले भागी
फिर लौटा दिया
कहने लगी- मज़ाक कर रही हूँ

जब उसने मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे प्रेमी हो?
मैंने कहा,- नहीं !
और वापस अपने धुंधलके में आ बैठा
कह आया था उसे
अब नहीं लौटूंगा कभी

उसके लिए एक सन्देश छोड़ा है मैंने
लिखा है
मैं मज़ाक कर रहा हूँ |

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