Monday 5 February 2018

मेरा कमरा बोल पड़ा

वह हमेशा खुला रखना चाहता है दरवाज़ा
और दीवारों को
गिरा देना चाहता है

असहनीय हो रहा है सिर के ऊपर भार
वह छत को फूँक मारकर
उड़ा देना चाहता है
लेकिन फिर भी
बना रहना चाहता है एक कमरा

ताकि कभी भी कोई आ सके
कभी भी कोई जा सके
बेहिचक

अब वह आसमान में तब्दील होना चाहता है
एक दिन
मेरा कमरा बोल पड़ा |

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