आज जब मैं अपने ऑफिस गया
वहां मैंने देखा
सारे कर्मचारी पक्षी हो गये हैं
पर सबके पंख गायब थे
सबकी उड़ान बाकी थी
वे अपने ख्याबों की कुर्सी पर बैठे
घडी के कांटे हो गये थे
जो टिक टिक तो कर रहे थे
पर सिर्फ, गुज़र रहे थे
मैंने अपने मालिक से कहा
मुझे मेरे पंख लौटा दीजिए
मैं अपनी उड़ान पूरी करना चाहता हूँ
मुझे पंख वापस नहीं मिले
एक दिन गुस्से में
मैंने उन्हें अपना इस्तीफ़ा थमा दिया
और मेरे पंख उगना शुरू हो गए |
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