ज़िंदगी का अध्याय अभी शुरू होना बाकी था
अन्दर की बैचेनी से
उसे लगा
खून में घुली प्रेयसी की यादें
बह जायेंगी
और वह पा सकेगा सुकून
इसीलिए, काट बैठा अपने हाथों अपनी ही कलाई
वह अनविज्ञ था
कि प्रेम में भटकाव मज़ा है
और पा लेना हार
उसे थोड़ा धैर्य होता
तो वह जान पाता
कि उसके लिए एक संदेस आया है |
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