उदासी में
नदी का होना माँ का होना सा है
कई उदास चेहरे हर रोज़
नदी किनारे आकर बैठते हैं
बैठने से उठने तक के समय में
नदी
बहा ले जाती है उदासी
और छोड़ आती है
समंदर पार
नदी ख़ुद की हानी होना नहीं जानती
‘विनिमय’ जानती है
वह सब कुछ ले लेती है
और मुस्कुराहटें लौटाना नहीं भूलती
हम शायद कभी नहीं समझेंगे .....!
नदी का ठहर जाना
उदासी का ठहर जाना है
और नदी का बहना
मुस्कुराहटों का बहना है |
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