Monday 5 February 2018

दुकान

बचपन में
एक बार मैंने माँ से कहा था
कि टिफिन में
किसी दिन दाल रोटी की जगह
सपने रख देना

उन दिनों मेरे स्कूल के रास्ते में
एक सपनों की दुकान थी
मैं कभी वहां नहीं गया
मुझे लगता था की सपने बड़े महंगे मिलते होंगे

इसलिए बचपन के दिनों में
अपने सपनों को मारकर
एक गुल्लक में
इकट्ठे करते रहा सिक्के

आज लदी हैं जेबें सिक्को से
जी चाहे तो दुकाने मोल लूं
पर पूरी दुनियां में कहीं
बचपन वाली
वह छोटी सी
सपनों वाली दुकान नहीं |

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