बचपन में
एक बार मैंने माँ से कहा था
कि टिफिन में
किसी दिन दाल रोटी की जगह
सपने रख देना
उन दिनों मेरे स्कूल के रास्ते में
एक सपनों की दुकान थी
मैं कभी वहां नहीं गया
मुझे लगता था की सपने बड़े महंगे मिलते होंगे
इसलिए बचपन के दिनों में
अपने सपनों को मारकर
एक गुल्लक में
इकट्ठे करते रहा सिक्के
आज लदी हैं जेबें सिक्को से
जी चाहे तो दुकाने मोल लूं
पर पूरी दुनियां में कहीं
बचपन वाली
वह छोटी सी
सपनों वाली दुकान नहीं |
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