एक हद के बाहर
मैं उसे समझ नहीं आता
और एक सीमा के अन्दर वह मुझे
दो दुनियाओं की एक कहानी है
कि वे साथ साथ चलती हैं
निरंतर
मेरे दोनों जीवनों में
रूपों का पक्षांतरण हो गया है
पर तू व्यवस्थित है वहीँ के वहीँ
मैं नियति बदलने की फिराक़ में
ख़ुद से
विद्रोह कर बैठा हूँ
रिश्तों का सहारा मुझे ताकत नहीं देता
मेरे अकेलेपन में
तू घुल जाना कहीं
यह उम्र जंग सी लगती है
बेहतर है
जीता जाना नहीं
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