ज़िन्दगी का सबसे बड़ा नाटक है
ख़ुद को भरा जाना
जो चलता रहेगा अनवरत
मैं ख़ुद को ख़ाली करना चाहता हूँ
फिर भर देना चाहता हूँ
दोहराना चाहता हूँ इस प्रक्रिया को अनेंकों बार
ताकि बचा रहे
थोड़ा सा ख़ालीपन
और मैं रहूँ
आधा-अधूरा
No comments:
Post a Comment