Sunday 10 December 2017

दोस्त

एक मीठे सुर वाली चिड़िया 
मुझसे बात करने लगी 
वो बोली नहीं
पर उसने कहा था एक दिन- साथी 

वो मेरे कंधे पर हाथ रखती 
और कभी कभी 
मेरा हाथ पकड़कर आसमान में ले जाती 
उसे मेरी फ़िक्र है 

मुझे उसकी चुप्पी नहीं भाती 
पर उसका गीत 
लुका छिपी का खेल है 

एक दिन सपने में कहा था उसने 
"मैं उड़ जाउंगी ऐसी की वापस नहीं आउंगी"

मैं उससे अपनी दिनचर्या कहता 
वह भी आधी अधूरी बातें करती 

वह मुझसे मेरा सपना पूछती है 
मैंने नहीं बताया 
दो ही तो ख़जाने हैं मेरी दोस्त,मेरा सपना 
डर है 
कहीं वो मेरा सपना ले उड़ी तो 
कहाँ ढूढूंगा उसे?

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