ईश्वर ज्ञात हो तो फिर वह ईश्वर नहीं रह जाता
तू अज्ञात ही बनी रहना
ताकि दुनिया की हर महान बात लगे
कि तूने कही है
मुझे दृष्टि देने के लिए
मेरी कृति
जब मैं कृति से प्रकृति में लौटूंगा
यह दौर
ख़त्म हो चुका होगा
तू मुझे वहीँ बाग़ में मिलना
मेरी तितली
और दे देना अंतिम चिट्ठी
फिर भले उड़ जाना अनंत आकाश में
मैं चिट्ठी पड़कर सो जाऊंगा ऐसा
कि उठूंगा तो नया दौर लाऊंगा
या नए दौर में जाऊंगा
उम्र नहीं पूरा जीवन होता है
प्रेम
बचपन होता है प्रेम
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