समुद्र
तुम पुकारो तो मुझे !
फिर चाहे तुम्हारे चारों ओर खड़ी हों
असंख्य दीवारें, अनगिनत अड़चने
और मेरे पाँव
ठिठुर कर, स्थिर हो गए हों
तुम तक जाने वाले तमाम रास्ते
भले बदल चुकें हों अपनी दिशा
समुद्र
तुम पुकारो तो मुझे !
मैं बरसात के रास्ते आऊंगा
समुद्र अगर मेरा तनिक भी अंश
सूरज सोख ले
तो बादल पर मुझे अधिकार देना
मेरे इंतज़ार
तुम पुकारो तो मुझे !
फिर चाहे मेरे कान सुनना बंद कर दें
मुझे कुछ दिखाई न दे
मेरी परछाईं
तुम पुकरों तो मुझे !
मैं बरसात के रास्ते आऊंगा
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