Sunday 10 December 2017

ख़ामोशी बोलती है प्रेम

जब मैं बोलता हूँ वो चुप रहती है 
जब वो बोलती है 
मैं चुप रहता हूँ 

हम दोनों कभी नहीं बोलते 
एक साथ

पर हो जाते हैं कभी कभी
एक साथ मौन 
तब हमारे बीच का मौन बोलता है 

फिर बिना किसी आवाज़ के ही 
हम एक दुसरे को सुन लेते हैं 
चुपचाप 

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