Sunday 10 December 2017

विद्रोह

मुझे कभी कभी आसमान 
हरा नज़र आता है 
और पृथ्वी 
वह भी हरी भरी ही नज़र आती है 

दुनिया भर के तमाम चेहरे 
हरे भरे हो जाते हैं 
कभी कभी 

मैं उत्सव मनाता हूँ 
उस वक़्त 
जो अपने चेहरे को रंगीन देखता हूँ 

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