Saturday 28 March 2020

वो लड़का

तुरुप का इक्का जिसकी कोई काट नहीं है
लगा लो कीमत
मेरा कोई भाव नहीं है

चार चवन्नी ग्यारह इक्के किसके हैं?
दिल की कर तू भाव लगा
रे, दम है तो तू दाव लगा
लगा इश्क़ की बाज़ी - दो के हिस्से बीस ले

मकानों से खड़े भीड़ के संसार में
यूँही नहीं खड़ा तेरे बाज़ार में

रात चांदनी
उस पर जो मझधार
पानी पर तिरती है मेरे प्रेम की धार

खड़ा मोहब्बत में वो अल्हड़ लड़का हूँ
बाहें फैला दे जो, बस मैं उसका हूँ |

No comments:

Post a Comment