घर के अंदर शोर है, घर के बाहर शोर है
सीढ़ियों पर बैठा एक लड़का
उसके भीतर मौन है
सुनसान खड़ी दीवारें, चुप्पी की कतारें
बोलीं एक ही बात
आसमान से भी दौड़ा आया वही एक ख़याल
बातें चलने लगीं, यादें फिरने लगीं
आँखों के बादल भर बौछार लाए
माहौल ने भी आवाज़ लगाई
फिर दिल भी बोला 'उससे एक पल बात करूँ'
पर उस पल के आगे अब उससे कोई बात है
वह एक रात थी वैसी अब कोई रात नहीं है |
सीढ़ियों पर बैठा एक लड़का
उसके भीतर मौन है
सुनसान खड़ी दीवारें, चुप्पी की कतारें
बोलीं एक ही बात
आसमान से भी दौड़ा आया वही एक ख़याल
बातें चलने लगीं, यादें फिरने लगीं
आँखों के बादल भर बौछार लाए
माहौल ने भी आवाज़ लगाई
फिर दिल भी बोला 'उससे एक पल बात करूँ'
पर उस पल के आगे अब उससे कोई बात है
वह एक रात थी वैसी अब कोई रात नहीं है |
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