Friday 27 March 2020

खिड़की

कदम रखे इसमें
उस दुनिया में झाँका था
दिल की कहाँ चार दीवारी होती है !

देह नहीं है, आवाज़ नहीं है
कोई आस - पास
आती है तब भी मुझ तक
आख़िर उसकी याद

रूह एक पनाह देती है जब भी दिल रोता है
जो होता है, बदौलत उसकी होता है

प्यार मिला नहीं तो क्या मर जाएगा?

उसके कान पढ़ें न मेरी यादें
सब बहकी बातें हैं
दो दुनियाओं का दरवाजा खिड़की होती है |

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