कदम रखे इसमें
उस दुनिया में झाँका था
दिल की कहाँ चार दीवारी होती है !
देह नहीं है, आवाज़ नहीं है
कोई आस - पास
आती है तब भी मुझ तक
आख़िर उसकी याद
रूह एक पनाह देती है जब भी दिल रोता है
जो होता है, बदौलत उसकी होता है
प्यार मिला नहीं तो क्या मर जाएगा?
उसके कान पढ़ें न मेरी यादें
सब बहकी बातें हैं
दो दुनियाओं का दरवाजा खिड़की होती है |
उस दुनिया में झाँका था
दिल की कहाँ चार दीवारी होती है !
देह नहीं है, आवाज़ नहीं है
कोई आस - पास
आती है तब भी मुझ तक
आख़िर उसकी याद
रूह एक पनाह देती है जब भी दिल रोता है
जो होता है, बदौलत उसकी होता है
प्यार मिला नहीं तो क्या मर जाएगा?
उसके कान पढ़ें न मेरी यादें
सब बहकी बातें हैं
दो दुनियाओं का दरवाजा खिड़की होती है |
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