जब तुम्हरी बातें संग में आती थीं
तो वो खिलकर आसमान बन जाता था
दीवारें जीने लगती थीं, किस्से मचलने लगते थे
वक़्त बीत जाता था
अभी कुछ देर और हमें
साथ चलना है
मेरे कमरे की उदासी मुझे अच्छी नहीं लगती
न बोलता है
न सुनता है
मेरा कमरा न जाने क्यों अब मौन रहता है?
तो वो खिलकर आसमान बन जाता था
दीवारें जीने लगती थीं, किस्से मचलने लगते थे
वक़्त बीत जाता था
अभी कुछ देर और हमें
साथ चलना है
मेरे कमरे की उदासी मुझे अच्छी नहीं लगती
न बोलता है
न सुनता है
मेरा कमरा न जाने क्यों अब मौन रहता है?
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