अगर मैं अपने घर थोड़ी देर से पहुंचा
तो क्या घर मेरा नहीं रहेगा?
और अगर मैंने कभी भी नहीं कहा तुमसे
अपना प्रेम
तो क्या प्रेम नहीं रहेगा !
प्रेम का होना हम तय नहीं करते
वो खुद चुनता है उन दो जानों को
कि जिसके बीच वो रह सके
फिर भी मैं थोड़ी देर से बोलूँगा
ताकि इस बीच कोई और आवाज़
तुम्हारी अपनी हो जाए
मैं देर करूंगा
क्योंकि उस थोड़ी सी देर में
सिर्फ़ तुम्हारा या मेरा इंतज़ार नहीं है
उस थोड़ी सी देर में जो थोड़ा स इंतज़ार है
वो असल में हमारा प्रेम है
थोड़ी देर से अपने घर आने की मेरी वजह यही है
की घर को मेरा इंतज़ार रहे
और उस थोड़े से इंतज़ार में
हमारे बीच प्रेम जीता रहे
तो क्या घर मेरा नहीं रहेगा?
और अगर मैंने कभी भी नहीं कहा तुमसे
अपना प्रेम
तो क्या प्रेम नहीं रहेगा !
प्रेम का होना हम तय नहीं करते
वो खुद चुनता है उन दो जानों को
कि जिसके बीच वो रह सके
फिर भी मैं थोड़ी देर से बोलूँगा
ताकि इस बीच कोई और आवाज़
तुम्हारी अपनी हो जाए
मैं देर करूंगा
क्योंकि उस थोड़ी सी देर में
सिर्फ़ तुम्हारा या मेरा इंतज़ार नहीं है
उस थोड़ी सी देर में जो थोड़ा स इंतज़ार है
वो असल में हमारा प्रेम है
थोड़ी देर से अपने घर आने की मेरी वजह यही है
की घर को मेरा इंतज़ार रहे
और उस थोड़े से इंतज़ार में
हमारे बीच प्रेम जीता रहे
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