इधर उधर की इतनी बातें?
मैंने ये कब सोचा था !
सोचा था एक प्यार का नग़मा
जब भी मैंने सोचा था ।
मेरी कविताएँ
Monday 7 August 2023
बराबर
होना, ना होना
एक बराबर
ना होना अच्छा ।
दिल ने बोए जितने क़िस्से
हर क़िस्से के हिस्से में
इक बात
एक बात बराबर ।
प्रेयसी
( पूजा के नाम )
आँखें गड़ाये तन पे तुम्हारे
तुमको लगता है
मैं तिल गिनता हूँ?
तिल गिनती हैं मेरी आँखें
मैं, मन से तुम्हारे
दिल गिनता हूँ ।
रिश्ता
कौन बताए ग्यारह क़िस्से
किसके हिस्से?
मेरे हिस्से का एक क़िस्सा था
सबने गिने अठारह क़िस्से
मैंने एक एक क़िस्से का
कितना सारा सूत चुकाया
मूल चुकाया, भूल चुकाया
बोलो अब
बनेंगे बाक़ी जो इन क़िस्सो से
उन बेचारे क़िस्सों का क्या होगा?
अब तुम जब भी बुनना
सोच के अपने क़िस्से बुनना ।
Wednesday 5 January 2022
चाह
जाए जवानी फिर बात नहीं
सोचता हूँ कितना कुछ करना है
और वक़्त से पहले मरना है
कितना कम समय बचा है
कितनी मोहब्बत करना है |
Saturday 1 January 2022
विनिमय
कान का परिचय, आँख की बात
बातें... बहकी बातें
वह बहकी बातें
जो भी तुमने कही थीं बातें
मैं तुमको अपनी बात बताऊँ?
पागल करती चाह की फांस
देना मुझको
सीरत की फितरत, आँख का आंसू
क्या कुव्वत इनमे?
ये साले जिस्मानी हिस्से
मैं तुमको अपनी बात बताऊँ?
दिल के बदले में दिल लूँगा
और कोई हिसाब नहीं |
Sunday 12 July 2020
एहतियात
वो भी आना, न था
बुलाना था
बुलाना, न था | लगाना था
कितना कुछ था गले लगाने को
कितना कुछ था झूल जाने को
कि पूछ लो हाल उसका
एक दूसरे का हाल पूछना ही
इस समय में,
हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है !
आलम
सबको मतलब है मेरी बदसुलूकी से
मेरा चक्कर
मेरी बेगारी
मेरे बबंडर फ़ैल जाते हैं आंधी से तेज़,
कभी नहीं फैलती भूख की खबर
किसी का भूख से मर जाना
हमारे पड़ोस में,
इस समय की सबसे बड़ी त्रासदी है !
Monday 6 July 2020
हिसाब – किताब
Thursday 2 July 2020
हैरत
जानते थे दोनों सब
सबकुछ अच्छा अच्छा लगता था
डर था
कहने से सोचा ख़त्म हो जाएगा
एक दिन हौसला आया
ख़त्म हुआ सब, कहने के बाद